Horror story in hindi

Zombie war horror story


यह हाल की ही बात है जब मैं इस सपने को देखा।
मैं कोलकाता के छोटे से शहर में रह रहा हूं और मेरे साथ मेरे दोस्त अली रह रहा है। उस दिन अली ने बोला कि यह देख क्या हो रहा है। बाहर मैंने जब खिड़की से देखा तो मेरे को लगा की बाहर लड़ाईया हो रही है पर मैं गलत था।
वहां कोई लड़ाइयां नहीं हो रही थी। वहां एक आदमी को तीन आदमी खा रहे थे। मैंने अली को बोला कि यह तीन आदमी उसको क्यों मार रहे हैं।
फिर अली ने बोला यह उसे मार नहीं रहा है युसूफ उसे यह लोग काट रहे हैं। मैंने कहा अली तू पागल है क्या यह उन्हें काट थोड़ी रहे हैं। अली ने फिर मेरे को बोला ये उन्हें काट रहे हैं। इस बार मैंने देखा की अली सही बोल रहा था मैंने देखा कि वह उनको काटकर उसका मांस खा रहे थे।
अब मैं और अली दोनों डर गए क्योंकि वह उनको काट कर उनका मांस खा रहे थे।
मैंने अली को बोला कोलकाता पुलिस को फोन लगाओ। पर कोई फोन नहीं उठा रहा था।
 इतने देर में हमारे घर में एक आदमी भागते हुए आया और जोर-जोर से दरवाजा ठोकने लगा उसने कहा मेरी मदद करो पर अली बोला तुम्हें क्या हुआ है। फिर उस आदमी ने बोला है यह मुझे मार डालेंगे। मैंने हिचकी चाते हुए बोला कि कौन तुम्हें मार डालेगा।
और उसके बाद ही उसके चिल्लाने की आवाज तेज हो गई और 1 मिनट के बाद उसकी आवाज बंद हो गई थी अली के पसीने पसीने छूट चुके थे और मैं बहुत डरा हुआ था मैंने कहा अभी क्या हो रहा है यह अली रोने लगा और मेरी भी आंखें नम हो गई थी। 
5 मिनट बाद हम दोनों शांत हुए। तब हमने टेलीविजन ऑन किया तब न्यूज़ यह चल रही थी की एक साइंटिस्ट ने एक ऐसा वायरस बनाया की मुर्दे भी जिंदा हो जाएं उस न्यूज़ में यह चल रहा था कि उस साइंटिस्ट का एक्सपेरिमेंट फेल हो चुका था वह वायरस जब मुर्दा पर डाला गया तब वह मुर्दा जिंदा तो हुआ पर उस साइंटिस्ट को ही मार दिया और वह साइंटिस्ट भी उस वायरस से इंपक्ट हो गया था।
और जोंबी नामक प्राणी का निर्माण हुआ। अब न्यूज़ कट हो चुकी थी।

न्यूज़ कट होने के 1 घंटे बाद अब दुनिया के 25% लोग जोंबी के वायरस से इंफैक्ट हो चुके हैं।
अब अली ने बोला कि यूसुफ अब क्या किया जाए। मैंने बोला अली सरकार कुछ करेगी। इतना बोलने के बाद ही हमारे शहर की पावर कट हो गई। अब मैंने बोला की बिजली कहां चली गई अली बोला बिजली आ जाएगी उसकी फिक्र मत कर अली के बोलते ही बिजली आ चुकी थी। अब फिर मैंने टेलीविजन ऑन किया तो उस पर न्यूज़ चल रही थी अब थोड़ी देर में पूरी दुनिया की भी पावर ऑफ होने वाली है और सरकारें कुछ नहीं कर सकती। मैंने बोला अली जितना भी घर पर कुछ है सब यहां लेकर आ अब हम लोग घर की समान को इकट्ठा कर रहे थे। थोड़ी देर में ही हम दोनों ने घर के खाने और औजार को इकट्ठा कर लिया था। 
मैंने कहा अली अब हमें इस औजार से हथियार बनाना पड़ेगा। हमारे पास 3 चाकू थे एक चाकू को मैंने एक पाइप में बहन कर उसका भाला बनाया अब दो चाकू को आपस में बांट लिया।
हम दोनों ने सारे दरवाजे और खिड़कियों को लॉक कर दिया अली ने पूछा ऐसा क्यों कर रहे है हम दोनों। मैंने कहा ऐसा हम लोग इसलिए कर रहे हैं कि बाहर से कोई अंदर ना आए और हम लोग सेफ रहे।
अब 2 घंटे बीत चुके थे बाहर सब शांत लग रहा था। कुछ ही देर में आर्मी पहुंची और गोलियां चलने लगी मैंने कहा सरकार हमारी मदद कर रहे हैं और जब गोलियां चलना रूकी तो एक सैनिक हमारे दरवाजे पर आया और कहने लगा अब सब सेफ है। जब हम दोनों ने खिड़की से देखा तो हर तरफ इंसान मारे हुए थे वह इंसान भी थे कि नहीं मेरे को नहीं पता।
थोड़ी देर बाद मैं और अली घर से बाहर निकले और उन सैनिकों ने बोला तुम दोनों जिंदा हो अभी तक। और अली ने बोला हां हम दोनों जिंदा है अभी तक।अब हम दोनों और बहुत से लोग बाहर आ चुके थे। हम लोगों ने पूछा कि यह क्या चल रहा है। और उन लोगों ने बोला सब ठीक हो जाएगा बस थोड़ी सा देर लग जाएगी। इन को खत्म करने में इतनी देर में एक पूरा जोंबी का झुंड आ रहा था। और एक आदमी ने उनको देखा और उन्होंने सैनिकों को बोला वह देखो उधर पूरा झुंड आ रहा है।
अब मैंने बोला अली यहां से चल अपने घर पर छपते हैं। अली ने बोला ठीक है भाग। हम दोनों ने अपने घर का दरवाजा बन्द कर दिया। और खिड़की से देखा वाह जोंबी का झुंड उन सैनिकों को मार दिया है। और वे जोंबी लोग आगे चले गए। 
मैंने कहा अली यह सैनिक लोग भी इन जोंबी का कुछ नहीं कर पाए तो हम क्या करेंगे।
अली ने बोला हम लोग को अब इसी घर पर छुप कर रहना पड़ेगा। मैंने अली से बोला कब तक हम लोग चुपके रहेंगे अली ने बोला जब तक कि हम लोग का खाना और पानी खत्म नहीं हो जाता। मैंने कहा क्यों अली ने बोला खाना पानी खत्म होने के बाद हम दोनों को बाहर जाना पड़ेगा और हो सके तो यह घर भी छोड़ना पड़ जाएगा मैंने कहा तब कहां जाएंगे हर तरफ तो जोंबी ही है। अली ने बोला सुंदरवन जाएंगे। मैंने कहा वहां क्यों वहां तो सिर्फ जानवर है अली ने बोला इसीलिए तो वहां हमें खाने और पानी की कमी नहीं होगी। 


3 हफ्ते बीत चुके थे अब हमारा खाना पानी खत्म हो चुका था।
मैंने बोला अली टाइम आ चुका है अब यहां से जाने का अली ने बोला हां पर एक चीज है जो लेना पड़ेगा मैंने कहा क्या अली ने बोला हमें एक नक्शा चाहिए मैंने कहा ठीक है तो पहले हमें नक्शा लेना होगा और उसके बाद चलने की तैयारी करनी पड़ेगी।
हम दोनों ने नक्शा लिया और चलने की तैयारी किया हम दोनों ने वह भाला और चाकू अपने पास ही रखा। और 2 से 3 दिन का खाना पानी लिया और घर से निकले हम दोनों चलते चलते हाईवे पर आ चुके थे और हाईवे पर गाड़ियां ही गाड़ियां खड़ी हुई थी। उन गाड़ियों में कोई नहीं था सब जा चुके थे।
हम दोनों गाड़ियां चेक कर रहे थे तभी एक जोंबी आया और अली बोला भाग युसूफ तेरे आगे जोंबी खड़ा है। और वह जोंबी मेरे पास आ रहा था मैंने अपना भाला निकाला और उसकी आंख में मारा और वह जोंबी वहीं ढेर हो गया।
अली ने बोला तूने तो इसकी आंखें निकाल ली इतने देर में जोंबी हिलने लगा मैं और अली तेजी से भाग ने लगे।
थोड़ी दूर भागने के बाद अली और मुझे एक तलाब दिखाई दिया मैंने कहा अली आज यहीं पर अपना ठिकाना बनाते हैं कल देखेंगे।
हम दोनों ने काम बांट लिया मैं मछली पकड़ रहा था और अली लकड़िया जलाने में लगा हुआ था। अली अपना काम करके मेरे पास आया और वह भी मछली पकड़ने लगा। हम दोनों ने चार से पांच मछलियां पकड़ी और उसको पकाया और रात को वहीं पर सो गए।
हम दोनों ने इस दिन 7 किलोमीटर का सफर किया।
अगले दिन हम दोनों उठे और चारों तरफ देखा दूर-दूर तक कोई नहीं था हम दोनों आगे बढ़ने के लिए तैयार हुए और उसी हाईवे से आगे बढ़े।
2 घंटे बाद चलते हुए मैंने देखा एक बंदा हाईवे के किनारे बेहोश था मैंने अली को बोला वहां कोई बेहोश पड़ा है अली ने बोला पास मत जाना मैंने कहा एक बार चेक करते हैं वह जिंदा भी है या नहीं।
हम दोनों ने चेक किया तो वह बेहोश था सिर्फ अली ने बोला पानी की बोतल निकाल मैंने पानी की बोतल निकाल ली अपने बैग से और उसके मुंह पर पानी छिड़क वह बंदा उठ गया और हमने पूछा कि तुम कौन हो उसने कहा कि मेरा नाम सददाम है। और मैं कल भागते भागते हैं यहां पर गिर गया और बेहोश हो गया था। उसने धन्यवाद कहां मेरी जान बचाने के लिए। अली ने बोला तुम कहां जा रहे हो वह बोला मैं अपने चाचा के घर जा रहा था मैंने कहा अब मेरे को नहीं लगता कि वहां कोई बचा होगा।
अली ने कहा की तुम हमारे साथ चलो हम लोग सुंदरवन जा रहे हैं। मैंने सददाम से पूछा तुम करते क्या थे। सददाम ने बोला कि मैं मुर्गियों को पालता था हमारी मुर्गियों की दुकान थी। 3 हफ्ते पहले जोंबी ने हमारे शहर में हमला किया और मैं भागते हुए वहां से भाग आया।
मैंने कहा तुम्हारी फैमिली कहां है उसने बोला मैं यहां पर अकेला रहता था मेरी फैमिली कहीं और रहती है।
अली ने बोला तुम्हें कुछ खाना है उसने कहा मैं 3 दिन से भाग रहा था बहुत भूख लगी है अली ने उसको बिस्किट दीया और हम तीनो आगे की ओर बढ़े।
हम तीनों को चलते हुए अब 2 दिन हो चुका था हमारा खाना बस खत्म होने वाला था।
मैंने बोला अली से कि हमारा खाना खत्म होने वाला है जल्दी से हमें एक शहर से खाना लेना पड़ेगा अली ने बोला किसे शहर में तो जोंबी हो सकते हैं मैंने कहा तुम सही बोल रहे हो।
सददाम बोला नहीं शहर वाले पहले ही सब चले गए हैं शहर में बहुत कम ही जोंबी है मैंने कहा तुम्हें कैसे मालूम उसने कहा कि मैं इसी शहर से भाग रहा था और मेरे साथ बहुत सारे लोग थे सब भाग चुके थे इधर उधर अब शहर पूरा खाली है बहुत कम ही जोंबी हैं हम खाना ले सकते हैं मैंने कहा ठीक है तो चलो पहले खाना लेकर आते हैं।
अली ने सददाम से पूछा इस शहर का सबसे पास वाला शॉपिंग सेंटर कहां है उसने बोला यहां से 600 मीटर दूर।
मैंने कहा अली चलते हैं। हमारा खाना खत्म हो चुका है लगभग रिक्स तो लेना पड़ेगा अली ने बोला ठीक है चलो।
सददाम ने कहा कि हम रास्ते से नहीं जा सकते हमें घरों की छत से जाना पड़ेगा मैंने कहा क्यों तो उसने बोला कि घरों की छत से जाने पर हमें कोई नहीं देख सकता तो हम लोगों ने बोला ठीक है चलते हैं।
हम लोग को 20 मिनट लगे उस मॉल में पहुंचने में। मॉल पूरा खाली था। उस मॉल में कोई भी नहीं था मैंने अपने बैग में कुछ वर्तनी ली और अली ने अपने बैग में खाने का सामान रखा और एक और बैग लिया सददाम के लिए। और उस बैंक में चावल और दाल को भर दिया अब हमारे पास खाने और पीने की कमी नहीं थी हम लोग वहां से निकल चुके थे और अपने रास्ते पर बढ़ रहे थे।
हम तीनों ने कुछ ही हफ्तों में आधा फासला कर लिया था।

अब हम तीनों को कुछ ही किलोमीटर चलने थे।
एक रात जब हम आराम करने के लिए रुके तो हमे किसी की आवाज सुनाई दी हम तीनों छुपे और देखा की 4 से 5 जोंबी इधर-उधर घूम रहे थे।
अली बोला कि हम इनसे कैसे लड़ेंगे युसूफ मैंने कहा कि हम लोग चुपके से उनके पीछे जाएंगे और उनको मार देंगे अली ने बोला ठीक है तो पहले सददाम जाएगा। 
सददाम बोला कि मैं ही क्यों जाऊं अली बोला कि तुम चलने पर आवाज नहीं करते तुम उनके पीछे जाकर उनको आराम से मार सकते हो सददाम बोला ठीक है।
सददाम एक जोंबी के पीछे गया और उसको मार दिया और अली ने भी एक को गिरा दिया और उसके सर में चाकू मारा और वह जोंबी भी मर गया। मैंने अपने भाले से एक जोंबी को गिरा कर उसके आंखों में भाला घुसा दिया।
देखते देखते सारे जोंबी को हमने मार दिया था। सब जोंबी के मरने के बाद हमने आराम किया।
अगले दिन हम लोग आगे बढ़ने के लिए निकले और कुछ समय चलने के बाद हमें जंगल दिखाई दिया और हम उस जंगल मैं चलने लगे।
हम अपनी मंजिल से बस कुछ ही किलोमीटर दूर थे
मैंने कुछ सुना मैंने अली से बोला अली बोला कि तेरा बहम है युसूफ मैंने कहा शांति से सुन अली को भी हो सुनाई दिया किसी लड़की की आवाज थी वो। हम लोग आवाज का पीछा किए और हमने चुप कर देखा कि वहां तीन लड़कियां बहस कर रही थी।
उनमें से एक लड़की ने हमें देखा और उसने बहुत जोरों से चिल्लाया हमने बोला शांत हो जाओ तुम लोग हम कोई जोंबी नहीं हैं। अली ने बोला हम लोग जा रहे थे और तुम तीनों की आवाज सुनाई दी। मैंने कहा तुम्हारा नाम क्या है क्या तुम हमारे टीम में शामिल होगी हम लोग सुंदरवन जा रहे हैं।
उनमें से जो बड़ी लग रही थी उसने जवाब दिया कि मेरा नाम सोनी है और यह मेरी छोटी बहन है इसका नाम ईशा है और यह लड़की हम लोग जब आगे बढ़ रहे थे तो यह हमें दिखाई दी और इसका नाम उसने नहीं बताया। और यह बहुत चुप रहती है।
अली बोला कि तुम कहां जा रहे हो सोनी बोली हम लोग कही नहीं जा रहे हैं। अली बोला कि तुम हम लोग के साथ क्यों नहीं चलते हैं उसने कहा क्यों मैंने बोलाकी वहां खाली और पानी की कमी नहीं होगी अब ईशा ने बोला बहन हम लोग का खाना पानी यहां पर नहीं हो पाएगा। हम लोगों को इनके साथ चलना चाहिए।
सोनी कुछ सोच रही थी और उसने बोला कि ठीक है हम लोग तुम्हारे साथ चलेंगे।
और हम सब साथ में आगे चलने लगे अब हम लोग खुले मैदान में पहुंच चुके थे अली बोला यहां पर रुक सकते हैं हम लोग सोनी बोली की जगह तो बहुत सही है यहां पर हम लोग रुकने को तैयार हैं। मैंने कहा की हम लोगों को काम बांटना चाहिए कुछ लोग लकड़िया लाएंगे और कुछ खाने के लिए कुछ ढूंढगे समझे सब लोग। सभी लोगों ने कहा ठीक है।
मैं अली और सददाम खाने के लिए कुछ ढूंढने लगे और सोनी ईशा और वह लड़की लकड़िया ढूंढने लगे।
हमने देखा की घास के मैदान में कुछ बतख के बैठी हुई है हमने एक धनुष बनाया और उन बत्तख को पकड़ा और हमने दो बत्तख पकड़ी। और वापस आ गए इतने देर में उन तीनों ने बहुत सारी लकड़ियां इकट्ठा कर ली हम लोगों ने लकड़िया और पत्तों से टेंट बनाया और रात को उन बत्तख को पकाया।
हम सब पहली बार किसी बत्तख को पक्का रहे थे।
उसका स्वाद किसी मुर्गी से भी अच्छा था सब को अच्छा लगा।
अगले दिन सब लोग अपना सामान पैक कर के आगे बढ़ने लगे और कुछ ही पल में हम लोग सुंदरबन पहुंच चुके थे।
सभी लोगों को वहां के नजारे बहुत खूबसूरत लगे वहां पर जानवरों की कमी नहीं थी ।और ना ही कोई आदमी या जोंबी नहीं थे।
हम लोग वहां पर अपना बेश बनाया और मजे की जिंदगी जी।






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