Horror story in hindi for reading

1.आत्मा का सच ? Horror Story In Hindi

आत्मा क्या है?

 


कहते है आत्माए हमारे आसपास हर वक़्त होती है.बस हम उन्हें देख नहीं सकते. लेकिन अगर चाहो तो उन्हें देखने के लिए किसी भूतिया जगह या कहो हॉन्टेड प्लेस जाने की ज़रूरत नहीं होती.


और अब दूसरा मुद्दा की आत्मा मृत्यु के बाद अगर जन्म लेती है. तो वह मरने के बाद भटक ती क्यों है. उसका जवाब है.इच्छा अगर मरते वक़्त इन्सान की किसी प्रकार की इच्छा अगर अधूरी रहजाती है. तो उस इच्छा की पूर्ति के लिये. उसकी रूह भटकती है.


 

और अब आपके मन में शायद सवाल आया होगा की क्या आत्मा खतरनाक होती है? तो मैं कहूँगा की ये ये बात निर्भर करती है की उस आत्मा की किस प्रकार की इच्छा अधूरी रहगई है?. और उसे किस तरह मौत आयी. याफिर उसकी अकाल मृत्यु हुई. 


उदाहरन के लिय समझ ते है.अगर किसी इंसान प्यार में धोके से मारा है. तो उसकी आत्मा तो भयानक और नफ़रत से भरी ही होगी ना. और अगर कसी पिता की अकाल मृत्यु होगई. तो वह अपनी संतान को सुखी देखने के बाद ही मुक्त होगी ना.


तो इंसान से लेकर आत्मा तक सभी की इच्छाए होती है.तो अभी में जो कहानिया इस ब्लॉग पर पोस्ट करने वाला हूँ.वो अतृप्त आत्मा के विषय में भी होगी.


2. पिता की रूह – दिल को छूनेवाली कहानी Brand New Horror Story In Hindi


Horror Story In Hindi

मिताली ने किरण को आवाज़ लगाई.किरण… किरण……. श्याम होगई है बेटे तुम्हारे पापा आने का समय होगया है चोलो स्कूल का होमवर्क पूरा करलो नहीं तो पापा डाटेंगे. पापा का नाम सुनते ही. 8 साल का किरण बैट और स्टंप उठाके दौड़ता हुआ घर में आया.


और उपरी मंज़िल में सीढियों पर तेजी से चढ़ने लगा. उसी वक़्त आखरी सीढि पर उसका पैर फिसल गया. और जैसे ही वह निचे गिरने लगा कि उसिवक्त किसी अदृश शक्ति ने उसे संभाल लिया. और हवामे ही उठाके. उसे उसके कमरे में छोड़ दिया. 


किरण को इसमें बहुत मज़ा आया. क्योंकि 8 साल के बच्चे को भूत और प्रेतों के बारे में कुछ पता नहीं था. उस रात खाने के टेबल किरण ने मम्मी पापा को सीढियों से कमरे तक उड़ने वाला किस्सा सुनाया. बच्चे पर भला कौन विश्वास करता. लेकिन उसके दुसरे दिन स से किरण की माँ को किरण के बर्ताव में बदलाव महसूस होने लगे.


 वह स्कूल का होम वर्क समय पर पूरा करने लगा.सुबह स्कूल के लिए ख़ुद से तैयार होने लगा. किरण ज्यादातर समय अपने कमरे में ही रहने लगा. एक दिन मिताली सीढियों से ऊपर आ रही थी. तभी उसे किरण के कमरे से आवाजे आने लगी.


जैसे कि वह किसी के साथ मस्ती कर रहा हो. मिताली ने दबे पैरो से जाकर दरवाजे के होल(सुराग) से देखा. तो डरके मारे उसकी साँस फूलने लगी. क्योंकि एक आदमी की धुंदली सी परछाई बालकनी के पास खड़ी थी. और उसके बाजूमे किरण उसका हात पकड के खड़ा था.


 

उस आदमी ने जब पीछे मुडके देखा. तो मिताली डर से दहल उठी. क्योंकि उसका चेहर बडाही भयानक था. उसपर पर गहरी चोट के निशना थे. देखते ही देखते वह आदमी कुछ हो पालो में हवा में गायब होगया .


फिर मिताली दरवाज खोलके दौड़ती हुए आयी. और किरण को सिने से लगाके बाहर की तरफ़ भागी. जब मिताली ने किरण से पूछा की वह आदमी कौन था. तब किरण ने कहा वह विश्वास अंकल थे. वो रोज़ मेरा ध्यान रखते है. कभी-कभी मेरे साथ स्कूल में भी आते है.


मैंने आपको बताया था ना. उसदिन एक अंकल मुझे सीढियों से हवामे उड़ाते हुए कमरे में लगाये थे. यह वही है. विश्वास ये नाम मिताली को कही देखा-सा लग रहा था. पर उसे याद नहीं आ रहा था.


पर इन सब से उसे डर भी लग रहा था. पर तसल्ली इस बात की थी की उस आत्मा ने किरण को अबतक कोई नुक़सान नहीं पहुचया था. उस दिन स्कूल में कोई फंक्शन होने की वहज से स्कूल 11 बजे था. मिताली ने किरण को स्कूल बस में बिठा दिया और वापस घर लौटी.


तभी उसने पाया की बेडरूम में लगे आयिने पर. लिपस्टिक से एक नाम लिखा था. मदर टेरेसा अनाथालय. जहा से मिताली और उसके पती आरव ने किरण को गोद लिया था.


मितालीने उसी वक़्त घर को ताला लगाके अराव को कॉल किया. और उसे तुरंत अनाथालय में बुला लिया. और गाड़ी निकालके ख़ुद भी अनाथलय की ओर निकल पड़ी.


दोनों वहापर एकसाथ पहुचे और जाकर वहाके संचालक से मिलकर. किरण के भूतकाल के विषय में जानकारी की मांग की. पर संचालक महोदय कुछ भी कुछ बताने के लिए तैयार न थे.


तब मितालीने उन्हें सब हक़ीक़त और वह नाम बताया. वह सुनकर संचालक महोदय सच्चाई बताने के लिए राजी हो गए. वह बोले की विश्वास त्यागी.यह किरण के पिता का नाम है. किरण को जन्म देते वक़्त उसकी माँ गुजर गई थी . उसके बाद उसके पिता ने ही उसे पाला. पर बदकिस्मती से एक कार एक्सीडेंट में उनकी भी मौत हो गई.


किरन भी उसी कार में था. पर वह किस्मत से बच्च गया था. लेकिन सिर पर गहरी चोट लगने की वज़ह से. उसकी यादे मिट गई है. जब किरण के किसी भी रिश्तेदारने हमदर्दी नहीं दिखिई. तब कोर्ट उसकी की जिम्मेदारी हमें सौंपी. उसके बाद हमे भी बहुत बार एसा महसूस हुआ. की किरण हिफ़ाज़त कोइ रुहानी ताकत कर रही है.


पर उस रूह ने उसे कभी नुक़सान नहीं पहुचाया. यह बात भी सच है. सारी बात ठिकसे समझने के बाद. मिताली और आरव जब घर पर लौटे और जब वह बेडरूम में बैठे बाते कर रहे थे. तभी   


उनके सामने ही वहांके अयिने के पास रखी. एक लिपस्टिक हवा में उठी. और अयिने लिखा मरे किरण को पढ़ा लिखाकर. एक अच्छा इंसान बनाना. यही मेरी आखरी इछा है. उसके बाद खिड़की के पास एक धुंदली सी आकृति दिखाई. दी और एक आवाज़ सुनाई दी मैं हमेशा किरण के आस पास रहूँगा. इस आवाज के साथ वह आकृति अदृश हो गई.  


3. गर्भवती की प्रेत आत्मा Real Ghost Stories In Hindi

भूकी आत्मा की कहानी

 


ये कहनी एक सत्य घटना पर आधारित है.जो मेरी मम्मी ने मुझे बताई थी. बचपन में मेरी माँ जॉइंट फॅमिली के साथ अहमदनगर जिल्हे में वडनेर नाम के एक छोटेसे गाँव में रहती थी.


उनका परिवार काफ़ी बड़ा था. इसलिए बड़े बूढ़े और जानकर लोगों की कमी नहीं थी. उसवक़्त गाँव में पानी के नल नहीं थे. इसलिए सभी औरते कपडे धोने के लिए. कुएँ पर जाती थी. सुबह ज़्यादा काम होने की वज़ह से मेरी दादी कपडे धोने के लिए.


श्याम 6 बजे कुएँ पर अकली ही गइ थी. आने में उन्हें काफी देर होगई थी. लगभग 7: 30 बजे का समय हो रहा था. जब वह लौटी तब पूरा परिवार आश्चर्य चकित हो गया. क्योंकि दादी गई थी ठीक ठाक.


पर जब लौटी तब वह 9 महीने की गर्भवती थी. और आते ही खाने के लिए काजू बादाम पिस्ता दूध घी मांगने लगी. मेरी परदादी एक जानकर और धीरज वाली स्त्री थी. उन्होंने मेरी माँ को हनुमान मंदिर वाले पंडितजी को बुलाने भेजा था.


और जब तक पंडित आते तबतक घरवालो ने दादी माँ को खाने की वह सब चीजे दी जो उसने मांगी थी . बादमे जब पंडित जी आये तब उनमे और मेरी परदादी में कुछ बात चित हुई. पडिंतजी जाने के बाद परदादी ने घर में जितना काजू बादाम और पिस्ता था.


वो सब एक सूत की थेली में भर लिए साथमे एक मटका भरकर दूध. यह सब चीजे लेकर ठीक रातके 12: 00 बजे कुंए के पास वाले पेड़ के निचे रखकर Horror Stories In Hindi घर आगई. और जब वह घर पहुची तब तक दादी माँ का पेट खाली हो चूका था.


बाद में सुबह मेरी माँ ने बड़ो की बाते सुनी थी. की कुछ महीनो पाहिले पास के गाँव की एक गर्भवती महिला ने किसी पारिवारिक तनाव.


में आकर कुँए में कूदकर आत्महत्या करली थी. उसीकी गर्भवती महिला की रूह. वहा भटक रही थी. और शायद उसकी कुछ अच्छा खाने की इच्छा अधूरी रह गई होगी. जो उसने दादी के जरिये पूरी करली.


4. प्रेत आत्मा का बदला Bhoot Pret Ki Kahani Hindi

प्रेत आत्मा का आतंक

 


रात को 2:30 शशिकांत के मोबाइल की घंटी बजी.और नींद में ही उसने वह उठाया. सामने से उसे उसके फैक्ट्री सिक्यूरिटी हेड राहुल की आवाज़ आयी. वह डरा काफी हुआ था. और सिर्फ़ 3 ही लफ़्ज़ बोल पाया.


फैक्ट्री…भूत… आत्मा… उसके बाद एक दर्द भरी चीख के साथ कॉल कट्गाया. शिशिकांत की नीदं पल भर में ही उड़गई. उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या अब करू. बचपन में ही उसकी माँ उसे जन्म देते वक़्त गुजर गइ.


उसके बाद उसके पिताजी ने उसे पढाई के लिए विदेश भेज दिया था. और अब पिताजी कि मौत के बाद बस एक दिन पहले ही उसने विरासत में मिली फैक्ट्री की जम्मेदारी संभली थी.


उस फोने के बाद उसने तुरंत ही फैक्ट्री मेनेजर विश्वास को फ़ोन लगाके फैक्ट्री पर बुलाया. और ख़ुद भी फैक्ट्री की और निकल पड़ा. वो दोनों जब फैक्ट्री में पहुचे तब उन्हें मैंने गेट का गार्ड कही नहीं दिखा.


पर शशिकांत की आंखे बस राहुल को ढूंड रही थी. जिसकी दर्दनाक चीख उसके दिमाग़ में अभी भी गूंज रही थी. शशिकांत ने विश्वास को कहा की तुम पुलिस को कॉल करो. और फैक्ट्री के आगे वाले हिस्से को दिखो.


तब तक मैं गोदाम को चेक करता हूँ. जब शशिकांत गोदाम में पंहुचा. तब उसने देखा की वहापर राहुल जमीन पड़ा शांत पड़ा था . लेकिन उसकी साँस अभी भी चलरही थी. पर शरीर से कोई हलचल नहीं करपा रहा था. मानो उसने कोइ भयानक चीज देखली हो.


उसि वक़्त शशिकांत ने एक और दर्द भरी चीख सुनी जिससे उसका कलेजा कांप उठा. वह चीख थी मेनेजर विश्वास की शशिकांत ने सरपट दौड़ लगाई और फैक्ट्री में जाके दिखा. तब डरा हुआ विश्वास बाथरूम के एक कोने में बैठ के रो रहा था.


और बार-बार एक ही लाइन बोल रहा था. वह वापस आगई. वह वापस आगई. अब वह किसी को नहीं छोड़ेगी.सब मरेंगे सब मरेंगे. वह मानसिक संतुलन खो बैठा था.तब तक एम्बुलेंस और पुलिस आचुकी थी. शशिकांत ने पुलिस आने के बाद उनको अपना बयान दिया.


और घर के लिए रवाना होगया.पर जाते वक़्त उसे एक बात महसूस हो रही थी की वह अकेला नहीं है. कोइ तो उसके साथ चल रहा है.वो जब कार के पास पंहुचा. तब कार का एक दरवाज़ा खुला था.


उसे अच्छी तरह से याद था.कि उसने कार के सभी दरवाजे लॉक किये थे. शशिकांत को कार चालते वक़्त कार की पिछली सिट पर किसी के होने का एहसास होने लगा .


उसी वक़्त उसे पुलिस निरीक्षक का कॉल आया की विश्वास की अमबुलंस में ही रहस्यमय तरीके से दम घोटने से मौत होगई है. और राहुल ने भी होश में आनेके बाद एम्बुलेंस में ही एक कांच के टुकडे से खुदका गला काटलिए.


इस तरह की एक के बाद के मौत की खबरों से उसका का सिर दर्द से फटा जा रहा था. शशिकांत घर पंहुचा. इंतना सब देखके उसे नीदं तो नहीं आने वालिथी.इसलिए वह लाइब्रेरी में बैठके किताब पढने लगा.


उसे अचानक आस पास कुछ हलचल सी महसूस हुई. तभी उसे खिड़की से अन्दर आनेवाली चाँद की खुबसूरत रौशनी एक जनि पहचनी हसीन लड़की की परछाई नज़र आयी. शिशिकांत को पता नहीं पर उस परछाई से डर नहीं लग रहा था.


वह लड़की बोली कैसे हो शशि. शशिकांत हकलाते हुए बोला .क… …क….. कौन हो तुम. और मेरा पीछा क्यों कर रही हो.मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है.


वह बोली में वही हु जिसके साथ तुम्हारी बचपन की कुछ सुनहरी यादे है. जिसके साथ तुम स्कूल जाया करते थे. पूरा दिन हम साथ बिताया करते थे. क्या तुम मुझे भूल गए.


फिर शशिकांत के जुबान पर उसका नाम आया स्वाति तुम और तुम्हारी ये हालत किसने की. फिर स्वाति अपनी कहानी बताई वह बोली. मेरे पिताजी तुम्हारे पिताजी के फैक्ट्री में काम करते थे.


एक दिन वह देररात को पूरा हिसाब किताब निपटा के घर के लिए निकल रहे थे. पर जाने से पहले आखरी बार फैक्ट्री के एक चक्कर लगाने के लिए.गोडाउन पहुचे तो उन्हें वहा कुछ नए बॉक्स दिखे.


जिनपर कंपनी का लेबल नहीं था.उन्होंने वह खोलके देखे तो उसमे अफीम और नशीले पदार्थ थे.किसी की आवाज़ सुनके वह वही छुप गए. तो वहा तुम्हारे पापा और कंपनी के डायरेक्टर आये .


तब मेरे पिताजी को पता चला की कम्पनी में ड्रग्स का काला कारोबार होता है.उन्होंने पिताजी को उसरात पकड़ लिया. और मारके कम्पनी के पिछले गोदाम में दफना दिया.मरने से पहले मेरे पापा ने ये बात मुझे फ़ोन में बता दी थी


और जब मैंने पुलिस को लेकर कम्पनी में पहुची. लेकिन पुलिस भी उनके साथ मिली हुई थी. उन्होंने मेरी इज़्ज़त के साथ खेलकर. मुझेभी उसी ज़मीन में दफना दिया. जहा पर मरे पापा को दफनाया था.


और आज मैंने और पिताजी ने सबको खतम करके बदला पूरा कर लिया है. पर.पर हमारी आत्मा को मुक्ति नहीं मिल सकती. क्योंकि मेरे 6 साल का छोटे भाई विशाल का इस दुनिया में अब कोइ नहीं है. वो अनाथालय में दिन काट रहा है


इसलिए में मदत के लिए तुम्हारे पास आयी हूँ.क्योंकि में जानती हू. तुम एक अच्छे इन्सान हो. शशिकांत ने कहा की मैं मेरे पिताजी की गलती कभी सुधार नहीं सकता. पर हमारी बचपन की दोस्ती के खातिर. मैं तुम्हारे छोटे भाई के जिम्मेदारी स्वीकार ता हूँ.


और तुम्हे वादा करता हूँ मैं तुम्हारे भाई को पढ़ा लिखाकर. एक अच्छा इन्सान बनाऊंगा. उसके बाद स्वाति और उसके पिताजी की आत्मा को मुक्ति मिलगई.


दुसरे ही दिन शशिकांत ने कम्पनी के सारे ग़लत बिज़नस बंद करवा दिए.और उस अनाथालय से विशाल को गोद ले लिया .


5.भूतहा पागलखाना Horror Stories In Hindi

डर की कहानी

 


सुबह सुबह पागलो के अस्पताल के सामने ऑटो रुका रवि ने ऑटो वाले को पैसे दिये और गेट के पास जाकर गार्ड को आवाज़ दी.पर वह कोई नहीं था. इसलिय वह ख़ुद ही बस गेट खोलने ही वाला था. तभी सामने से एक आदमी दौड़ता हुआ आया. और उसने गेट खोलकर रवि को अन्दर लिया.


और हँसते हुए पूछा तुम TV ठीक करने वाले होना.रवि बोला नहीं. नहीं ये शब्द सुनके उस आदमी के चहरे के भाव बदले और उसने रवि को कस के एक लाफा लगाया. रवि के आँखों के सामने अँधेरा छा गया.


वो आदमी बोला मेरा टीवी खराब है. तो इस गेट से टीवी ठीक करने वाला आना चाहिए तुम क्यों आगये. रवि ने ख़ुद को संभला फिर अचानक 1 डॉक्टर 4 कंपाउंडर वहा दौड़ते हुए आये. और उस आदमी को पकड लिया. फिर डॉक्टर ने कहा ले जाव इसे और शॉक ट्रीटमेंट के तैयारी करो. 


डॉक्टर को देखके रवि बोला हेल्लो सर मैं रवि हूँ आज इस अस्पताल में मेरी नौकरी का पहला दिन है. मुझे डॉक्टर पाटिल से मिलना है. डॉक्टर बोले हाँ में ही हूँ पाटिल. तुम्हारे बारे में मुझे बतया गया है. Best Horror Stories In Hindi


तुम अपना अपॉइंटमेंट लैटर ऑफिस में जमा करो. और वर्दी पहनकर सामने वाले ऑफिस में आकार मिलो. रवी थोड़ी हो देर में कंपाउंडर की ड्रेस पहनके ऑफिस में हाज़िर हुआ.


पाटिल डॉक्टर बोले अभी जो तुम्हे गेट के पास पागल मिला था. वह यहाँ बस 8 दिन पहले आया है. और अभी तक बहुत लोगो को थपड मर चुका है.यहाँ तक की बावर्ची को भी जाकर उसने TV क्यों नहीं चल रहा इस वज़ह से थपड मारा था.


तुम्हे इनसब की आदत डालनी होगी.और स्टाफ की कमी की वज़ह से तुम्हारी शिफ्ट कभी भी बदल सकती है. फिर डॉक्टर ने एक पुराने कंपाउंडर से रमाकांत को रवि को सभी स्टाफ से मिलवाने के लिए कहा.


सबसे मिलने के बाद रमाकांत ने रवि से कहा. चलो अब तुम्हे हमारा काम दिखता हूँ. और वह रवि को मरीजो का रूम दिखाने ले गया. वहापर बहुत सारे पागल मरीज थे. कोई फिल्मी डायलॉग बोल रहा था. कोई दर्द भरी शायरी बोल रहा था.कोई मछली पकड़ रहा था.


रमाकांत बोला अब तुम्हे भी इन सबको झेलना होगा. सबसे पहचान करने के बाद रवि और रमाकांत दोनों अपने अपने काम में जुट गए. उसी दिन रवि को नाईट ड्यूटी मिली थी. रातको रवि पेशंट के दावा पानी करने में व्यस्त था.


जब रात के 12 बजने घंटी बजी तब उसने नोटिस किया. की सबके चहरे पर अचानक डर-सा दिखने लगा है. कुछ मरीज जो सो नहीं रहे थे. वह भी दुबक के बैठ गए थे. रवि ने एक डॉक्टर से पूछा की यहांपर सभी लोग डरे हुए क्यों लग रहे है.


डॉक्टर बोले की 12 बजे के बाद इस हॉस्पिटल में पुराने मरे हुए पागलो की प्रेत आत्माये घुमती है. तुम भी संभल कर रहना. हो सके तो किसीके साथ रहना. पर रवि का भूत प्रेत पर विश्वास नहीं था.


उस रात रवि अकेले ही टॉयलेट की ओर जा रहा था. तभी उसे अपने पीछे किसीके होने का एहसास हुआ.


लेकिन जब उसने पीछे मुडके देखा. तब वहा कोई नहीं था. वह आगे बढ़ने लगा. पर अब उसे किसी के कदमो की आहट महसूस होने लगी. फिर उसने सोचा की शायद वहम होगा. और वह टॉयलेट में घुस गया.


और जब वह टॉयलेट करके बाहर निकल रहा था. तब उसे दिखा की टॉयलेट के आयिने पर लिखा है. तुम अब पागल होने वाले हो. रवि को लगा कोई उसकी खिचाई कर रहा है. वार्ड में जाकर उसने किसी से कुछ नहीं कहा. बस वापस मरीजो का ध्यान रखने लगा. तभी अचानक उसे हॉस्पिटल में एक भयंकर चीख सुनाई दी.


वार्ड से बाहर आकार रवि आवाज़ की दिशा मैं तेजी से दौड़ा. वह आवाज़ स्टोर रूम से आ रही थी. जब रवि स्टोर रूम के अन्दर पंहुचा. तब दरवाजे के पीछे छुपे एक पागल ने दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया. और उसी दरवाजे की और मुह करके खड़ा हो गया.


रवि दरवाज़ा खोलने आगे बढ़ा. तब उस पागल ने रविको उठाके हवामे उछाल दिया. और ज़मीन पर गिरने की वज़ह से रवि की पीठ में चोट लगी. उतने में ही उसे एक विचित्र हंसी सुनिई दी. वह पागल बोला मैंने कहा था ना तुम पागल होने वाले हो.


रवि गुसे में बोला अबे पागल आदमी तुझे तो मैं शॉक दूंगा. पागल बोला शॉक की वज़ह से ही तो मै मारा था. और अब मुझे शॉक से कोइ डर नहीं लगता. इतना कहके उसने एक हात से रविको कान से पकड़ा और अपने दुसरे हात लाइट का स्विच बोर्ड खोले उसमे डाल दिया.


और रवि को 440 होल्ट का झटका लगा दिया. पूरा हॉस्पिटल रवि के आवाज़ से गूंज उठा. उसकी आवाज़ सुनकर हॉस्पिटल का स्टाफ स्टोर रूम का दरवाज़ा तोडके अन्दर आया.


तब सबने देखा की रवि बेहोश है. रवि को लेजाके मरीजो बेड पर सुलाया गया. और जब रवि होश में आया तब वह उसका मानसिक संतुलन खोचुका था.


वह आजभी भी उस पागल पण से बाहर नहीं निकल पाया है. और अब पागल रवि को लगता है. कि वह एक सर्जन डॉक्टर है. और अभीतक बहुत से मरीजो और डॉक्टर्स का ब्लेड से पेट काट चूका है.


अब हर रात उस हॉस्पिटल में चीख सुनिई देती वह भी तब जब रवि को शॉक दिया जाता है.


6. कुंवारी चुडैल Horror Stories In Hindi

नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है विजय कुमार. मै बदलापुर, उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ. ये जो छोटीसी भुतहा कहानी में आपको बताने जा रहा हूँ. वो मेरी आँखों देखि सच्चाई है.


जिसकी सिर्फ याद ही आज भी मेरे दिल मे खौफ पैदा करने के लिए काफी है. तो वह भूतहा घटना कुछ इस प्रकार है. मेरे 12 वी के एग्जाम सिर पर थे.


और अचानक पिताजी के गुजर जाने के बाद. घर के हालत बिगड़ गए थे. आगे की पढाई पूरी करने के लिए. और घर चलाने के लिए.


मुझे देर रात तक ऑटो चलाना पड़ता था. उस रात को सभी ऑटोवाले घर चले गए थे. सिर्फ मै अकेला ही. भयानक सन्नाटे में ऑटो स्टैंड पर अगली सवारी आने का इंतजार कर रहा था.


दुसरे दिन दोपहरसे एग्जाम शुरू होने वाले थे. इसलिए मेरे लिए समय भी पैसे की तरह ही कीमती था. इसलिए में ऑटो में आगे की सिट पे बैठ कर नोट्स पढ रहा था. 


तभी अचानक मुझे एक नशीली महकने अपनी ओर आकर्षित करलिया. वह महक कहा से आरही है.


यह जानने के लिए. में ऑटो से बाहर निकलने ही वाला था. तभी मुझे पीछे से एक कोमल आवाज आयी ” बदलापुर गाँव चलिए प्लीज” अचानक से आने वाली इस आवाज से मै चौंक गया. और पीछे मुडके देखा.


तो ऑटो में एक सुंदर सी सजी धजी लड़की बैठी थी. मैंने उससे पूछा आप अंदर आकर कब बैठी? उसने कोई जवाब नहीं दिया. वो बस अपने पैरो की तरफ देखे जा रही थी.


मै ने भी आगे कुछ पूछा नहीं . और तुरंत ऑटो स्टार्ट करके गाँव की तरफ चल पड़ा. लेकिन मैंने एक बात पर गौर किया था. जबसे वह लड़की रिक्शा में बैठी थी.


तबसे मुझे गजब की ठंड लगने लगी थी. ऑटो चलते चलते मेरे सामने वाले आईने पर जब मेरी नजर पड़ी. तब मुझे दिखा की वह लड़की एकटक मुझे घुर रही है. 


फिर मैंने आईने से नजरे हटा के रोड पर टिका दी. कुछ ही दूर जाने के बाद रिक्शा में अचानक काहीसे सड़े हुए मांस की बदबू फैलने लगी.


इतनी की मुझे घुटन होने लगी. साँस तक लेना मुश्किल हो गया था. उसवक्त फिर एक बार मेरी नजर आईने पर पड़ी. और उसमे दिखने वाले उस भयंकर और विकृत नज़ारे से मेरी रूह कांप गई.


क्योंकि आईने में जो लड़की मुझे दिख रही थी. वह एक दुल्हन के जोड़े में थी. और उसका चेहरा आधा जल हुआ था. जिसमे से मांस के लोथड़े लटक रहे थे.


मैं उसवक्त इतना ज्यादा डर गया था. की अपनी चलती ऑटो का हैंडल छोड़कर सडक पर ही कूद पड़ा. उसकेबाद सुबह जब मेरी आँख खुली.


तब मै गाँव के दवाखाने में लेटा हुआ था. पासमे मेरी माँ और कुछ गाँव के बुजुर्ग बैठे थे. मेरे सिर में 4 टाके लगे थे. और बाकि सभी मामूली चोट थी.


सिर पर गहरी चोट लगने से शायद मै बेहोश हुआ था. और जब मैंने मेरे रिक्शा के बारे में पूछा. तो सभीने उल्टा मुझसे सवाल किया.


तुम हमे गाँव के बाहर सडक पर पड़े मिले थे. तो तुम्हारा ऑटो दूर उस पुराने कब्रिस्थान में क्या कर रहा था? ये खबर सुनने के बाद मै दंग रह गया.


उस सवाल का जवाब. तो मेरे पास नहीं था. पर उस खौफनाक चुड़ैल के बारे में. मैंने सबको बता दिया.


माँ भगवान का शुक्रिया करने लगी. की मेरे बेटा एक चुड़ैल के चंगुल से सही सलामत बच निकला. जाते जाते सभी गाँव के लोग बोले तुम्हारी किस्मत अच्छी है.


इसलिए जिंदा हो. वह एक कुंवारी ही मरी हुई भयानक चुड़ैल थी. जो अपनी प्यास तुम्हारे जैसे कुंवारे लडको का शिकार करके बुझाती है.


7. तंत्रिक का शैतानी खेल Horror Stories In Hindi

पीयूष जब 3 साल का था. उसकी माँ की अचानक की मौत हो गई थी. तब से उसके पिताजी शिव ने उसे बड़े लाड प्यार से पाला था. उसके प्यार में कभी कोई कमी ना रहे. इसलिए शिवने कभी दूसरी शादी नहीं की थी.


शिव एक फारेस्ट ऑफिसर था. उसे सरकार से सब कुछ मिलता था. गाड़ी, बंगला ,पैसा और इसीके साथ एक और चीज भी मिलती थी. “सरकारी आर्डर” साल के पाहिले दिन.


एक जनवरी को शिव को इ मेल मिला. उसका तबादला देवगड़ में किया गया है. और उसी रात को उसे देवगड़ के लिए रवाना होना था.


शिव ने बड़ी मीनते करेक और वादे करके. अपने बेटे पीयूष को नुई जगह शिफ्ट होने के लिए मना लिया था. वह दोनों सुबह 10:30 बजे देवगड़ पहुंचे. देवगड़ पहुचने के बाद वहा का मनमोहक नजारा देखकर.


ख़ुशी से चिल्लाते हुए पीयूष यहा वहा भागने लगा. क्योंकी वहा बच्चो के खेलने के लिए. एक बड़ा पार्क था. जीसमें बहुत सारे झूले. फिसलपट्टी, स्वमिंगपूल और बहुत कुछ था.


पीयूष को खुश देखकर शिव के नए सेक्रेटरी श्याम के मुंह से निकल गया. आपसे पहले वाले एक अफसर ने यह पार्क उनके बच्चो के लिए बनवाया था. उसकी इसबात पर बगल में खड़े दुसरे बड़े अफसर ने श्याम चुप रहने का इशारा किया.


लेकिन वह सुनकर शिव मुह से वह निकल ही गया. जिसे वह अफसर सुनना नहीं चाहता था. शिव बोला वैसे कहा तबादला हुआ. उस पार्क बनाने वाले अफसर का ?.


तभी अचानक पियूष पैर फिसल कर स्वमिंग पूल में गिरपड़ा और उसे बचने के लिए शिव बिजली की रफ़्तार से दौड़ा. और किसी धनुष से निकले तीर की तरह पानि मे कूद गया. और उसने कुछ ही सेकंड्स में पियूष को पानी से बाहर निकला.


उस वक़्त दूसरा बड़ा अफसर इस बात का शुक्र मना रह था. की शिव ने अपने पूछे हुए सवाल का जवाब वापस नहीं माँगा. शिव ने पियूष को बंगले में ले लेजाकर बेड लेटा दिया.


कुछ समय आराम करने के बाद पियूष फिरसे उछल कूद करने लगा. सेक्रेटरी ने शिव को उसकी जिमेदारिया समझा दी शिव की हद में १०० एकर का जंगल था.


और उसका सरकारी बंगला उसी जंगल सीमा पर बनाया था. शिव ने गार्ड्स को बुलाया और जंगल का राउंड मारने के लिए.


गाड़ी निकलने का आदेश दिया. जाते जाते उसने सोचा की क्यों ना पियूष को भी जंगले दिखाके लाऊ. कोइ खरगोश या हिरन दिख गया तो खुश हो जायेगा बच्चा.


इस तरह से उसने पियूष को भी अपने साथ में ले लिया. गाड़ी में शिव ने श्याम और वहा के एक पुराने गार्ड के चहरे पर डर पहचान लिया था.


फिर शिव ने वह सवाल पूछ लिया जो कुछ समय पहले टल गया था.उसने ने पूछा श्याम वो पुरने अफसर का तबादला कहा हुआ है? ये तो तुमने बताया ही नहीं. और वो बड़े साहब उस बात को टाल क्यों रहे थे?


श्याम ने कुछ ठीक से पता नहीं. ऐसा जवाब दिया. पर इस बात से शिव सहमत नहीं था . फिर थोडा दबाव डालने पर सेक्रेटरी ने सबकुछ बताना शुरू किया.


उस पार्क बनाने वाले अफसर का नाम जॉन डिसूजा था. उसे तंत्र मंत्र सिद्धियों का काफी ग्यान था. उसका कहना था. की तंत्र मंत्र सिद्धियों की शक्ति से इंसान अमर भी हो सकता है.


उसके पास जादू टोन की किताबो का भंडार था. जो उन्हें रात भर पढता था. इसी पागल पण में उसकी मौत एक रहस्यमय और खौफनाक तरीके से हुई. जिसमे उसके परिवार को भी दर्दनाक मौत मिली.


जॉन ने सबसे पहले अपनि खुद की बच्ची को पूल में डूबा मारा. उसके बाद अपने 2 बेटों के कुल्हाड़ी से टुकडे करदिये. फिर बीवी पर मिट्टी का तेल डाल कर जला दिया.


और पुरे परिवार की बलि देने के बाद आखिर में खुद बंगले के सामने वाले पेड़ पर फांसी ले ली . ये सब उसने मध्यरात्रि रात के वक़्त किया था.


एक गार्ड ने उसे रोकने की कोशिश की थी. पर जॉन ने उसका भी उसने पेट चिर कर अंतड़ियां बाहर निकल दी थी. हम जब सुबह वहा पहुचे तब उसकी बेटी की लाश पूल पे सफ़ेद होकर तैर रही थी.


उसके नजदीक ही उसके बेटो के काटे हुए हाथ पैर और सिर के टुकड़े पड़े थे.उसकी बीवी की जली हुई लाश आंगन में पड़ी थी.और जॉन लाश पेड़ पर लटक रही थी.


बहुत ही डरावना नजारा था.बादमे उसके परिवार समित उसे भी सरकार ने जंगल के बीचो- बीच तालाब के पास दफनाया था. शिव ने सवाल किया की ये सब होने तक बंगले के बाकि नौकर चाकर क्या कर रहे थे.


सेक्रेटरी श्याम बोला उसने ये डरावना पागलपन योजनाबद्ध तरीके से किया गया था. उस रात उसने सभी नौकरों को कुछ पैसे देकर अगली सुबह 12 बजे तक छुट्टी दे दी थी.


पर सरकारी आदेश अनुसर 2 गार्ड बंगले पर रुके थे. एक को तो उसने भयंकर मौत दे ही दी थी. पर दूसरा कुछ एसी डरावनी चीज देखकर भागा था की.


वो हमेशा के लिए पागल होगया है.हमने उसे जंगल में से पकड़ा था. अब वो सरकरी मेंटल हॉस्पिटल में है. उस पर उपचार चल रहे है.


वो बार बार कहता है. की वो हर अमावस्या को आयेगा और एक एक बलि ले जायेगा. उस दिन से आज तक जो भी अमावस्या की रात उस बंगले में रुकता है.वह सुबह पेड़ से फांसी लेकर आत्महत्या करलेता है.


तब से हर अमावस्या की रात यहा किसी को रुकने नहीं दिया जाता. गाँव के पुराने पंडितजी ने बताता है की. जॉन की रूह यहाँ रुकने वाले के शरीर में प्रवेश करके उसे आत्महत्या के लिए मजबूर करती है. इसीलिए लोग मरते है. उसे हरवक्त अपने काम के लिए एक शरीर चहिये होता है.   


और आज भी जॉन की क्रूर आत्मा जंगलो में भटकती है. न जाने भगवान उसे कब मुक्ति देगा. पूरी कहानी सूनाने के बाद श्याम बोला सर कल अमावस्या है.


आप भी बंगाल छोड़कर गाँव में रुकिएगा. शिव ने कहा श्याम किसी को तो इस परेशनी का हल निकलना होगा. ऐसा कब तक वह शैतान मासूमों की जान लेता रहेगा. और चुनौतियों से तो मै आज तक नहीं भागा.


इतना बोल कर वह खामोश हो गया. शिव को अपनी नहीं पर पियूष की चिंता सताने लगी थी. उसने मन ही मन तय की पियूष को कुछ दिनों के लिए.उसके मामा के घर भेज देना ठीक रहे गा.


और खुद ही इस जॉन की आत्मा को हमेशा के लिए नरक में भजे कर ही दम लेगा. शाम होते होते गाड़ी बंगले पे पहुंची. सब बिना कुछ कहे गाड़ी से उतर के अपने अपने काम में जुट गए.


उनके जंगल से आने तक नौकरों ने रात के खाने की तैयारी कर ली थी. सभी गार्ड्स रातका खाना खतम करके. नाईट शिफ्ट मे तैनात हो चुके थे.


और गाँव के लोग जो खाना बनाने और साफ सफाई के लिए आते थे. वह तो दिन ढलने के बाद ही राम राम का जाप करते हुए. अपने घर पहुचं चुके थे.क्योंकि गाँव के लोग उस बंगले में रातको रुकने से डरते थे.


शिव ने रातके खाने के बाद पियूष को सुला दिया.और खुद भी लेटे लेटे सोचने लगा. की शिव के मामा संग्राम से फोने करके मदत मांग ही लू.


वो बगीचे में जाकर एक बेंच पर बैठा और सिगार सुलगाने लगा. तभी सन्नाटे को चीरती हुए आने वाली एक चीख ने उसे डरा दिया.


वो आवाज गार्ड्स की थी. शिव गेट की तरफ तेजी से भागा. वहा पहुचने पर जो नजारा शिव की आँखों ने देखा था. उससे उसका कलेजा कांप उठा.


क्योंकि मौत का तांडव शायद अमावस्या से पहले ही शुरू हो चूका था. उन दोनों गार्ड्स की लाशे गेट के पास ही पड़ी थी. शिव ने वक्त जाया नहीं किया वो तेजी से पियूष के कमरे में पहुचा.


पर पियूष अपने बेड पर नहीं था. शिव उसे आवाजे देते हुए. सभी कमरों में देखने लगा. शिव की आवाज सुनके श्याम अपने कमरे से बाहर निकला. शिव ने बाहर जो कुछ देखा उसे सब बता दिया.


फिर दोनों मिलके पियूष को धुंडने लगे. तभी स्विमिंग पूल के पानी में कुछ जोर से के गिरने की आवाज आयी. दोनों घर के बाहर स्वमिंग पूल की तरफ भागे.


वहा स्वमिंग पूल पर पियूष एक आदमी के साथ पानी पर खड़ा था.श्याम कांपती आवाज से बोला “जॉन डिसूज़ा” वो प्रेतआत्मा शिव को देखकर हंस रही थी.


मानो वो पियूष को अपने साथ किसी और दुनिया में लेजाने आया हो. घबराहट से शिव की सांसे फूल रही थी. उसी वक़्त वो जोर से चिल्लाया और उठके अपने बेड पर बैठ गया. क्योंकि वो सिर्फ एक बुरा सपना था.


और पियूष उसकी बगल में अपने टेडी बेअर से लिपट कर सो रहा था.उसके बाद शिव ने संग्राम को फोन करके कुछ देर बात करली.


फोने रखने से पहले संग्राम सिर्फ इतना ही बोला की मै समय पर पहूच जाऊंगा. क्योंकि दुसरे ही दिन ही अमावस्या थी.


शिव पियूष के साथ हनुमान जी के मंदिर माथा टेक आया और वहा के पुरने पंडित से पहचान भी कर ली. शिवने एक रात के लिए.पंडित जी के पास शिव को रखने की मंजूरी ले ली. और सुबह अपने कामो में लग गया.


श्याम होने के साथ ही सभी गाँव के कर्मचारी डरते हुए अपने अपने घर जा चुके थे. शिव की हिम्मत देखके उसके साथ 2 गार्ड्स और सेक्रेटरी श्याम भी रुका था.


शिव ने उन्हें अपनी योजना बताना शुरू किया. शिव ने कहा जॉन की रूह को अपने काम को अंजाम दने के लिय. एक शरीर की आवश्कता होती है. उसे हमसे किसीको मारने से पहले उसके शरीर में प्रवेश करना होगा.


तो हम सबको बस उसे कुछ देर के लिए उलझना है. जिसके शरीर में जॉन की आत्मा होगी. उसे पकड़कर या फिर बांध कर रखना है.


उसके बाद उसे हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाएगी. ठीक रात के 12 बजे एक गार्ड ने श्याम का गला दबाने की कोशिश की. उसे काबू में रखने के लिए सबने उसे पकड कर रखा.


पर उसमे इतनी ताकत आगई थी की उसने सबको दूर फैंक दिया.


किसी तरह उस दुसरे वाले गार्ड और श्याम ने उसे रस्सीयो में फसा कर कुछ समय के लिए काबू कर लिया.


तब तक शिव ने बन्दूक की एक गोली आसमान में चलाकर किसीको सिग्नल दिया. और कुछ ही मिनीटो में रस्सियों में बंधा हुआ वह गार्ड.


एसी हरकते करने लगा. जैसी किसी ने उसको जला दिया हो. उसवक्त जंगल के बीचो बीच गाँव के पंडितो और संग्राम जॉन डिसूज़ा को उसकी कब्र में ही जला रहे थे.


और कुछ ही समय बाद वह गार्ड नार्मल होगया. बाद मे शिव ने सबको समझाया की कालेजादू की किताब में एक रस्म है.


जिससे जॉन उस कब्र में रहते हुए भी जिंदा था. यहा उसकी आत्मा सिर्फ अपनी भूक मिटने अति थी.


जो की किसी मासूम की जान लेकर मिटती थी. और उस किताब के अनुसार अगर मरने के बाद भी जॉन ने. १०० इंसानों की बलि पूरी की होती.


तो वह अपने कब्र में से जिन्दा होकर हमेशा के लिय अमर होजाता. इसलिए ये मायाजाल मैंने उसके लिए रचा था.


ताकि वो कब्र छोड़ कर यहा आये और वहा हमारे लोग उसकी लाश को कब्र में ही जला सके. श्याम ने पूछा की आपको ये सब कैसे पता चला शिव ने जवाब दिया. तुमने ही बताया था. की जॉन पास जादू टोन की किताबों का भंडार है.


वह भंडार में मुझे रातको तैखाने में मिला उसमे एक काले जादू से अमर होने की किताब थी. और उसपर नाम लिखा था


“जॉन डिसोजा”


8. सत्य घटना भूतों का घर Horror Stories In Hindi

हेल्लो दोस्तों यह सत्य भुतहा घटना मुझे श्यामसुंदर जी ने मुंबई से भेजी है. जिसका अनुभव उनके साथ उनके मामा के लड़के को भी हुआ था. आगे की कहानी श्यामसुंदरजी के शब्दों में.


श्यामसुंदर: -नमश्कार दोस्तों यह भुतहा घटना तब की है. जब मै १६ साल का था. मै हर गर्मियों की छुट्टी में मेरे शिवा मामा के गाँव जाता था.. मामा को एक लड़का है.


जिसका नाम अभिराज है. मै और अभिराज हर छुट्टियों में. पूरा दिन गाँव में कहिपर भी घुमा करते थे. बहुत मजा किया करते थे. हम दोनों को उस वक्त एक ही भूत चढ़ा था. की हमे असली भूत देखना है.


एक दिन मै और अभिराज श्याम को चौराहे पर सांप सीढ़ी खेल रहे थे. और बगल में ही. गाँव के कुछ बड़े बुजुर्ग लोग बाते कर रहे थे.


वह कह रहे थे की. गाँव के बाहर पुराने कुएं के पास जो घर है. वह भुतहा है. वहा पर दिन दहाड़े भी लोगो को भूत प्रेतों के अनुभव हुए है. क्योंकि उस घर में 8 साल पहले हमारे गाँव में नए-नए आये हुए.


बनवारी हवालदार ने अपने बेटे और पत्नी समेत खुदकुशी करी थी. काफी पूछ-ताछ के बाद पुलिस ने हमे कारण बताया. की बनवारी किसी बड़े कर्जे में डूबा हुआ था.


उसकी मौत के बाद से उसका घर खुला का खुला ही पड़ा है. बनवारी की आत्महत्या के बाद उसके रिश्तेदार तक उस घर पर हक़ नहीं जमा पाए.


उसके रिश्तेदारों कहते है. उन्होंने वह घर पांच बार किराये पर चढाया था. पर दोनों किरायेदार ये बोलकर भाग गए. की उस घर में उन्हें एक आदमी औरत और लड़के की प्रेतआत्मा रहने नहीं दे रही है.


वह 3 आत्माएं न उन्हें खाने देती है. ना उन्हें ठिकसे सोने देती थी. आखरी वाला किरायेदार तो दिन में ही भाग गया था. जाते जाते उसको आस पास के लोगो पूछा था क्या हुआ भैया?


तो वह बोला की इस घर में दिन दहाड़े डरावनी आत्माए घुमती है. उन्होंने उसे नीदं में पिटा भी था. वह बेचारा तो उसका बड़ा सामन जैसे अलमारी, बेड भी वही छोड़कर भाग गया था.


फिर बनवारी के रिश्तेदारों ने भी तंग आकर. उस घर को बिना ताला लगाये वैसे ही छोड़ दिया था . क्योंकि उन्होंने खुद भी कुछ घंटे वहां बिताके. उस घर का प्रेतवाधित होने का अनुभव लिया था.


हमारे गाँव मेसे भी वहा कोइ कभी गलती से भी नहीं जाता. यह सारी बाते मेरे और अभिराज के खरगोश जैसे कानो ने सुन ली थी.


फिर दुसरे ही दिन दोपहर सबको चकमा देखर. हम दोनों उसी प्रेतबाधित घर में पहुंचे थे. मुझे आज भी याद है. उस घर की सारी खिड़कियां टूट चुकी थी.


पुरे फर्श परधूल मिट्टी की परत जम गई थी. मैंने वहापर पुरे घरके कमरों घूमकर देखा. पर मुझे कोई भुत, आत्मा, शैतान कुछ भी नहीं दिखा.


मेरे पूरा घर देखने तक. अभिराज उस भुतहा घर में खिड़की पर बैठ कर. उस हवालदार को उसके नाम से चिढ़ा रहा था.


बादमे मै भी उसके बाजु में जाकर बैठ गया. खिड़की पर दोनों अन्दर की तरफ पैर करके बैठे थे. और दोनों की नजर(आंखे) निचे फर्श पर थी.


हमने वहां बैठकर कुछ देर बाते भी की. पर उसके बाद हमने जो नजारा देखा. उससे हमारे रोंगटे खड़े होगये.


बदन में कपकपी सी छूट गई थी. क्योंकि खिड़की के सामने निचे फर्श पर. अचानक तीन लोगो के पैरों के निशान उमड़ (फूट प्रिंट्स ) ने लगे और आकर हमारे सामने रुक गये.


जैसे की 3 लोग हमारे पास आकार खड़े होगये हो. उनमेसे एक ने तो मेरे कान के नीचे कंटाप बजादिया.


और मै निचे अन्दर की तरफ गिर गया . मै उसवक्त इतना ज्यादा घबरा गया था की. अपने पैरो पर ठिकसे खड़ा भी नहीं हो पा रहा था.


में पुरे शरीर की ताकत समेट के गिरते पड़ते दरवाजे से बाहर निकला . और अभिराज तो इतना डरा हुआ था. की खिड़की के निचे नाला है.


उसिमें कूद गया था. फिर हम दोनों चीखते चिलाते घर तक भागे थे. मेरी माँ और मामा ने हमे बहुत पिटा था. तब से हमारा भुत खोजो अभियान बंद हुआ.


9. प्रेत आत्मा का साया Horror Stories In Hindi

गाँव से शहर पढने के लिए आये हुए दो नौजवान. विराट और रवि कॉलेज कैंटीन में अपने रहने की जगह के बारे में बात कर रहे थे.


उन दोनों को कम पैसे में कोई पेइंग गेस्ट हाउस या कोई सस्ता फ्लैट चाहिए था. ताकि वहा रहकर वह अपनी कॉलेज की पढाई पूरी कर सके.


उनके ही पीछे चाय पीते हुए. कॉलेज का पिऊन उनकी बाते सुन रहा था. वह चाय के कप के साथ उनके टेबल पर आकार बैठ गया.


और बोला देखो तुम दोनों की परेशानी का हल मेरे पास है. पर इसमें खतरा हो सकता है. रवि बोला कैसा खतरा ?. हमारी अभी की मुसीबत से ज्यादा कुछ बड़ा नहीं होगा.


पिउन बोला ठीक है. तो सुनो. हमारे कॉलेज के पीछे एक बडासा पुराना घर है. उस घर का मालिक बिलकुल सस्ते दामो पर किराये पर देने के लिए राजी है.


पर उस घर के बारे में एक दिकत है. वहां उस घर में 5 साल पहले हमारे ही कॉलेज की एक लड़की रहती थी. और उसी घर में उसने अपने आप को जलाकर आत्माहत्या की थी.


मरने के बाद उसके शरीर का अंतिम संस्कार तो हुआ था. पर लोग कहते है उसकी रूह आज वहा मौजूद है. कई लोगों ने उसे वहा दखने का दावा भी किया है.


उस घर का मालिक इसी वजह से वो घर किराये पे नहीं चढा पाता. इतनेमे रवि और विराट दोनों एक स्वर में बोले हमे चलेगा.


विराट बोला वैसे भी यह भूत प्रेत कुछ नहीं होता. रवि बोला चलो हमे अभी वहापर ले चलो. पिऊन उन्हें उसी वक्त उस घर के मालिक के पास ले गया.


घर का मालिक उस भुतहा घर से 10 मिनट की दुरि पर एक लकड़ी के मकान में रह रहा था. वह सुबह 10:30 बजे ही वह नशे में था.


उसने रवि और विराट को सिर्फ एक शर्त में घर किराये पर देने का तय किया. की वह दोनों अगर बिचमे घर छोड़ के जाना चाहेंगे. तो उन्हें उनके पैसे वापस नहीं मिलेंगे.


उन दोनों ने बिना सोचे समझे पैसे देखर घर चाबी ले ली. उसी दिन दोपहर को उन्होंने घर से लाया हुआ. अपना-अपना सामान घर में रख दिया.


वह घर काफी बड़ा था. वहां सोने के लिए 3 बेड. किचन, टॉयलेट, बाथरूम सभी सुविधाए थी. इसलिए दोनों बड़े खुश लग रहे थे. की इतने कम पैसे में दोनों के एक बडासा घर किराये पर मिल गया.


पहले दिन ही वह दोनों रात का खाना खाकर 11 बजे घर पर लौटे. और आते ही बेड पर लेट गए. वहां एक लाइन में 3 बेड थे. विराट और रवि बिच में एक बेड का खाली छोड़कर सोये थे.


रातको ठीक 12 बजे रवि नींद से अचानक हडबडाकर उठा. और वापस सो गया. उसे ऐसा लगा था की नीदं में ही किसीने उसका दम घोटने की कोशिश की है.


उसके बाद विराट की नीदं भी अचानक खुल गई. क्योंकि उसे अचानक इतनी ठंड महसूस हुई थी. की उसके दांत किट किट ने लगे.


उसको यह बात बहुत ही अजीब लगी. उसने कमरे की लाइट लगाकर देखा. तो तीसरे बेड पर रवि मस्त एकदम शर्ट निकल कर. पंखे की हवा खाते हुए सो रहा था.


पर अभी कुछ देर पहले ठडं की वजह से विराट की हालत खराब हुई थी. उसे बहुत नींद आ रही थी. इसलिए उसने उस बात को अपने दिमाग से निकला और फिरसे लाइट बंद करने के लिए. स्विच की तरफ हाथ आगे बढाया.


पर उसिवक्त विराट की नजर उन दोनों के बीच वाले बेड पर पडी. जो बीचो बीच इंसान के आकार में धसा हुआ था. मानो उसपर कोई सो रहा हो.


उसे अपनी आँखों के सामने जो दिख रहा है. उस बात को पक्की करेने के लिए. वह उस बेड के नजदीक गया. विराट उस बेड पर हाथ फेर कर देखना चाहता था.


तभी उसे ऐसा लगा की उस बेड से अभी-अभी कोइ निचे उतर गया हो. उसके मन में अब डर ने जगह बना ली थी. थकावट के कारण वह अपने बेड पर जाकर लेट गया.


लेकिन वह जो देखा उसके बारे में सोचने लगा. की क्या सचमे इस घर में आत्माओं का निवास है? तभी उसी बेड से एक आवाज आयी जैसे की कोई वापस उसपर आके लेट गया हो.


अब उसकी दिल की धडकने. तेज होने लगी थी. कलेजा मानो फट के बार निकलने ही वाला था. उसने डर बढे नहीं. इसलिए खुद को यकीन दिलाना शुरू किया. की यह सब उसके दिमाग का वहम है.


लेकिन उसने बेड से निचे उतर कर बिना आस पास देखही लिया. बादमे वह आँखों पर पाणी मारने के लिए. बाथरूम में गया था.


उसिवक्त वह घर एक विचित्र और डर भरी चीख से गूंज उठा. उस चीख की आवाज से रवि आधी नीदं से उठकर बाथरूम की ओर दौड़ा.


जब रवि बाथरूम में पहुचा. तब उसे विराट जिस हालत में दिखा. उसे देखकर डर से रवि की रूह कांप गई. क्योंकि उसके सामने विराट बाथरूम जमीन पड़ा था.


और उसकी छाती पर एक आग से जली हुई . लड़की का भयानक प्रेत बैठा था. डर से विराट की घिग्गी बैठ गई थी. इसलिए वह बोल नहीं पा रहा था. किसी गूंगे की तरह इशारे करके. वह रवि से मदत मांग रहा था.


पर रवि कुछ नहीं कर पा रहा था.क्योंकि डर के मरे उसके खुदके हाथ पैर से आधी जान निकल चुकी थी. डर के मारे भूत भूत चिल्लाते हुए. रवि दरवाजे की ओर भागने लगा.


पर जब वह दरवाजे की तरफ भाग रहा था. उसकी नजर बेड पर पड़ी जो ठीक दरवाजे की बगल में थे. बेड पर नजर पड़ते ही. उसके दरवाजे की तरफ बढ़ते कदम धिरे-धीरे रुक गया.


क्योंकि जो दृश उसे सामने दिख रहा था. उसपर उसे यकीन नहीं हो रहा था. लाइट की तेज रौशनी चमक रही थी. पंखा भी तेज चल रहा था. एक बेड पर विराट अपनी छाती पकड़कर पड़ा था.


और दुसरे बेड पर वह खुद लेटा था. क्योकि कुछ देर पहले ही उन दोनों की मौत हो चुकी थी. और घर में अब बस उन दोनों की रूह उस तीसरी रूह के साथ घूम रही थी.


फिर जब उसने बाथरूम की तरफ देखा. तो वहां विराट एक लड़की के साथ खड़ा था. और अब उन तोनो की रूह अपने अगले शिकार का इंतजार कर रही है. क्या आपको चाहिए कम किरायेवाला बड़ा घर. जहा भूत प्रेत रहने की अफवाए है.


10. कब्रिस्तान के पिसाच Horror Story In Hindi

रातके 10 बजे ऑफिस से लौटते वक्त. निखिल अपने करीबी दोस्त रोबर्ट की कब्र पर फुल चढ़ाने कब्रिस्तान पहुचा.


कब्रिस्तान के सामने अपनी कार पार्क करके. उसने कब्रिस्तान पर एक नजर डाली.


रातके वक्त पूरी तरह सुमसाम था. इतना की हवा झोके से से पेड़ से गिरने वाले. पत्तो की आवज भी उसे साफ सुनाई दे रही थी.


उसने कब्रिस्तान में जाकर अपने साथ लाये हुए. आर्किड के फुल रोबर्ट की कब्र पर रख दिए. और 2 मिनिट मौन करते हुए खड़ा रहा. फिर जब वह वापस बाहर आने के लिए पीछे मुडा.


तब उसे एक कब्र पर बैठी छोटी बच्ची दिखाई दी. बच्ची के हाथ में एक हरे रंग का कांच का टुटा टुकड़ा था. जिसे वह बार-बार आंख पर लगाके. आस पास की कब्रों को देख रहीथी.


निखिल कुछ मिनट वही खडे रहकर. उस बच्ची को देखता रहा. वह इंतजार कर रहा था. कोइ उस बच्ची की पहचान का आये. और उसे सही सलामत अपने साथ घर ले जाये.


पर ऐसा हुआ नहीं. फिर निखिल उस बच्ची के पास जाकर खड़ा हुआ. निखिल की तरफ दखते हुए. वह छोटी बच्ची मुस्कुराई. निखिल ने पूछा अरे छोटी तुम अकेली यहांपर क्या कर रही हो? और तुम्हारे माता पिता कहा पर है.?


फिर वह बोली मेरे मम्मी पापा अगले कब्रिस्तान में गए है. वो वहां पर रहते है. वहां से कुछ ही दूर एक और कब्रिस्तान था. इसलिए निखिल को लगा की बच्ची शायद उसी कब्रिस्थान के आस पास कही रहती होगी.


इसे शायद ठिकसे पता याद नहीं होगा. फिर निखिल ने पूछा की तुम यहा अकेली क्यों बैठी हो? तुम्हारे साथ कोई बड़ा नहीं है.


बच्ची ने जवाब दिया. मेरे पिताजी मुझे यहाँ छोडके गए है. निखिल ने सोचा की कैसा निर्दयी बाप होगा. अपनी बेटी को कोइ इसतरह कब्रिस्तान में छोडके जाता है भला.


निखिल उस छोटी बच्ची से इतनी बाते कर रहा था. पर उसका ध्यान सिर्फ उस कांच के टुकडे में ही था. वह बस उसमे एक आंख बंद करके इधर उधर देख रही थी.


निखिल ने आखिर उस बच्ची से पूछ ही लिया. की तुम कांच में से क्या देख रही हो. उसने जवाब दिया. की इस हरे कांच के टुकडे में मुझे गायब होने वाले लोग दीखते है. बहुत मजा आता है.


गायब होने वाले लोग? निखिल को कुछ समज में नहीं आया.


वह बच्ची के साथ और कुछ देर खड़ा रहा. फिर उसे गोद में उठाकर कब्रिस्तान से बाहर निकल आया. चलते-चलते गोद में बैठी. उस बच्ची ने अपना नाम त्रिशा बताया.


निखिल ने जैसे ही कब्रिस्तान के बाहर कदम रखा. उसे अचानक तेज ठडं के मौसम ने घेर लिया. उसका बदन ठंड से कांपने लगा. पर निखिल का ध्यान जब उसकी कार के पास खड़ी उस बच्ची त्रिशा की तरफ गया.


तब उसे हैरानी हुई. क्योंकि उस पर इस खून ज़माने वाली सर्दी का कोई भी असर नहीं हो रहा था. उसवक्त त्रिशा कांच के टुकडे में से निखिल की तरफ ही देख रही थी.


तभी उसके चेहरे के हाव भाव अचानक से बदल ने लगे. वह बोली अंकल आपके पीछे से कोई है. निखिलने पीछे मुडकर देखा. तो उसे कोइ भी नहीं दिखा.


उसे लगा की त्रिशा शायद मजाक कर रही होगी. फिर वह बोला त्रिशा बेटा चलो गाड़ी बैठो. मै तुम्हे तुम्हरे घर छोड़ देता हूँ. उसिवक्त त्रिशा बोली अंकल आप भी कांच से गायब होने वाले लोगो को देखो ना.


निखिल बोला मै बाद में देखूंगा. बस तुम अब कार में बैठो. पर बच्ची ने जिद पकडली. की अभी के अभी देखना ही होगा.


उसकी जिद पर निखिल ने जब वह कांच का टुकड़ा अपनी आंख के सामने लाया. तब दहशत से उसकी आंखे फट पड़ी. क्योंकि उस कांच में से जब निखिल ने कब्रिस्तान की तरफ देखा था.


तब उसे वो दिखाई दिया. जिसे कोई भी आम इंसान अपनी खुली आँखों से नहीं देख पाता. उसे दिखा की अभी जो कब्रिस्तान सुमसान था. कांच में से देखने पर वहा बहुतसे लोग घूमते दिखाई दिए. और उनमे से कुछ उसकी तरफ ही देख रहे थे.


और जब उसी कांच के दुकडे से उसने अपने आस पास नजर डाली. तो 3 बतसूरत जले हुए प्रेत. निखिल को घेर के खडे थे. और त्रिशा की जगह उसे एक छोटा पिसाच दिख रहा था. जो उसकी तरफ देखते हुए. अपनी लाल टपका रहा था. यह सब कुछ उसेन कुछ ही सेकंड्स में देखा था.


वह अपने साथ गोद में किसको उठा लाया है. यह सोचकर वह डर से अधमरा हो गया. उसने तुरंत कांच फैंक दिया. और भागने के लिए कार का दरवाजा खोलने लगा.


तभी उसे खी… खी… खी.. खी… ऐसी शैतानी हंसी सुनाई दी. और अगले ही पल पूरे कब्रिस्तान ने निखिल की दर्दभरी चीख सुनी.


क्योंकि वह छोटा पिसाच निखिल की पीठ पर बैठा हुआ था. और अपने नुकीले दांत उसने निखिल की गर्दन में 2 इंच अंदर घुसये हुए थे. और बडे ही चाव से खून चूस रहा था.


जब निखिल के शरीर का खून खतम हुआ. तब वह निष्प्राण होकर जमीन पर गिरा. फिर कब्रिस्तान से निकले चुड़ैल और प्रेतों में ने उसके शरीर का मांस नौच नौच कर खाया और अपनी भूक मिटाई.


11. बरगद का खबीस(शैतान) Horror Story In Hindi

उन दिनों मै शहर में एक कारखने में नौकरी करता था. एक दिन मेरा दोस्त मनीष गुप्ता अचानक काम पर ना आनेसे मुझे डबल शिफ्ट करनी पडीथी. इस वजह मुझे देर रात 12:30 बजे घर लौटना पड़ा.


मै काम पर आने जाने के लिए साइकिल का इस्तेमाल करता था. मुझे हर रोज घर जाने के लिए. एक छोटासा जंगल पार करना पड़ता था.


उसरात आसमान में चमकते पूर्णिमा के चाँद की रौशनी में. आसपास की चीजे ठीक ठाक दिख रही थी. जब मै जंगल के रास्ते से होकर घर जा रहा था. तभी मैंने पेड़ के निचे बैठे एक बूढ़े आदमी को देखा.


मुझ पर नजर पड़ते ही वह मुझे अपने पास बुलाने लगा. मैंने उसके पास जाकर साइकिल को ब्रेक लगाया. वह मुझे बोला बेटा तुम मुझे गाँव में छोड़ दोगे. तो तुम्हारे बड़े उपकार होंगे.


मैंने पूछा चाचा आप इतनी रात गए इस सुनसान जंगल में क्या कर रहे हो?. वह बोले मै यहापर नया आया हूँ. गाँव में जाना चाहता हूँ. परंतु रास्ता भटकने की वजह से कुछ समझ में नही आ रहा है.


मैंने उस रहस्यमय बूढ़े को साइकिल की पिछली सीट पर बिठा लिया. और गाँव की ओर चल दिया. बहुत देर तक साइकिल पर बैठी बुजुर्ग व्यक्ति कुछ बोल नहीं रही थी. तो मैंने ही पूछ लिया चाचा आपने अपना नाम नहीं बताया.


वह बोले मेरा नाम है. जमाल उल्फत मतवाला. नाम बताते वक्त उनकी आवाज कीसी जवान मर्द की तरह भारी सुनाई दी. पर मैंने उस पर कुछ ध्यान नहीं दिया.


फिर घर जाने की जल्दी में मैंने साइकिल की गति बढ़ा दी थी. पर अचानक मुझे साइकिल के पैडल मारना मुश्किल होने लगा. जैसे की साइकिल पर 2 नहीं बल्कि 4 आदमी बैठे हो.


अचानक बढने वाले वजन की वजह से मुझे थकावट महसूस होने लगी. मै बस साइकिल रोक ही रहा था. की साइकिल फिरसे हलकी होगई.


मानो साइकिल पर मौजूद सारा वजन हवा में उड्गाया हो. अचानक इतना हलाक महसूस हो रहा था. इसलिए मैंने एक नजर पीछे मुड़कर चाचा देखा.


तो मै चौंक गया क्योंकि चाचा साइकिल पर नहीं थे. तो अचानक कहा गायब होगाए? ये सोच सोच कर मुझे डर लगने लगा. क्योंकि अगर वो कही रस्ते में या किसी गड्डे में गिर गये होंगे. तो मेरे लिए मुसीबत हो जाएगी.


इसलिए मैंने साइकिल U टर्न मारके घुमली. और हर मुमकिन जगह देखा. पर मुझे वह कही नहीं दिखे. लेकिन वापस आते मुझे दुरसे ही दिखाकी. एक बडेसे बरगद के पेड़ के निचे.


कोई आदमी घुटनों में सिर छुपकर बैठा है. मैंने उसे दूर से ही आवाज दी. जमाल चाचा आप हो क्या वहाँपर? पर मुझे उस आदमी में न कोई हलचल दिखी और नहीं कोइ जवाब मिला.


तो मैंने साइकिल वही छोड़कर नजदीक जाकर देखने का फैसला किया. फिर जब मै उस बरगद के नजदीक पहुंचा. तो मुझे अचानक से खून ज़माने वाली ठडं ने घेर लिया. मानो कोई इशारा हो की यहाँ से भाग जाव!


उस आदमी के कपड़ो से मैंने पहचान लिया था. की वह जमाल चाचा ही है. फिर मैंने चाचा से पूछा आप साइकिल से कब उतरे? मुझे बताना चहिये था ना.


चलिए में आपको घर छोड़ देता हूँ. मेरे इतना कहने के बावजूद. चाचा ने तील के बराबर भी हलचल नहीं की . वो बस मुंडी को घुटनों के बीच झुका के बैठे रहे.


मुझे अब डर लगने लगा था.और ऊपर से वहांपर ठंड भी थी. कही चाचा का राम नाम सत्य न हो गया हो.


फिर उन्हें उठाने के लिए. मै धीरे धीरे उनके नजदीक गया. तभी मुझे अचानक सड़े हुए मांस जैसी गन्दी बू आने लगी. मानो कोई लाश वहां बहुत दिनों से सड रही है.


फिर भी सांस को रोककर मैंने चाचा के कंधे पर हाथ रखदिया. उसवक्त उस छोटेसे स्पर्श से मुझे जो महसूस हुआ. उससे मेरे बदन में सिहरन दौड़ गई. जिससे में वहांसे थोडा दूर जाकर खड़ा हो गया.


क्योंकि चाचा का शरीर बिलकुल किसी बर्फ की तरह ठंडा पड़ गया था. में उनकी तरफ डर से भरी निगाहों से देख रहा था. तभी उनमे मुझे हलचल नजर आयी.


उसके बाद जो भयंकर चीज मेरी आँखों के सामने खड़ी थी. उसे देखकर मेरे मुह से निकलने वाली चीख ने जंगल के सन्नाटे को चिर कर रख दिया.


क्योंकि जमाल चाचा का सिर अब उनके कंधो पर नहीं. उनके हाथो में था. उनका धड उनकी कटी मुंडी को हाथ में लिए खड़ा था.


उसके बाद मै वहा से किसी शिकारी से डरे हुए. खरगोश की तरह भाग . फिर वह प्रेत भी में अपना कटा हुआ सिर हाथो में लिए. मेरा पीछा करने लगा. मै तुरंत साइकिल पर बैठा और पूरी जाना लगाके पैडल मारने लगा.


थोड़ी दूर साइकिल चलाने. के बाद वह भूत भी नजदीक आ रहा था. लेकिन वह रात मानो शैतान की थी. इसीलिए ऐन मौके पर ही मेरी साइकिल की चैन उतर गई.


अब बस मेरी फटके हाथ में आ चुकी थी. मैंने साइकिल और साइकिल पे लटकाया हुआ. मेराटिफिन वही छोडदिया. और अपने प्राण एक मुठी में समेट कर गाँव के ओर तेजीसे भागा.


और जब मैने गाँव के मुख्य प्रेवश द्वार के अंदर कदम रखा. और एक नजर पीछे देखा. तो उस शैतानी बला ने मेरा पीछा करना बंद करदिया था. वह भयानक बरगद का खबीस मुझे देखता ही रहा. क्योंकि गाँव के प्रवेशद्वार के सामने हनुमानजी का मंदिर था. और प्रेत में इतनी ताकत नहीं थी की वो वहा कदम रख सके.


भूतहा कहानिया जारी रहेंगी……………………


to be continued………..


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