Litter Letters Story Part 1 in Hindi

=============चिट्ठी के अक्षर=============

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या एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जिसमें आत्मा विश्वास कूट-कूट कर भरा था। आमिर एक फौजी था। एक बार एक मोर्चे पर लड़ते समय बम फटने से दाया हाथ कंधे से उड़ गया। उसे फॉर से सेवामुक्त कर दिया गया। दाया हाथ काटने पर भी आमिर ने आत्मविश्वास नहीं खोया। सेवामुक्त के बाद उसने घर आकर बाएं हाथ से लिखने का अभ्यास प्रारंभ किया और चार-पांच साल के अभ्यास के बाद उसकी लिखावट अत्यंत सुंदर हो गई। फिर उसने एक सप्ताहिक अखबार प्रारंभ किया और उसका सफल संपादन करने लगा। उस अखबार में लेखक की अनेक रचनाएं छपी। जब लेखक आमिर से मिला तो उसके आत्मविश्वास को देखकर आश्चर्यचकित रह गया।  
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सुबह के 10:00 बज रहे थे। मुझे डाक से एक चिट्ठी मिली। मैं लिफाफा खोल कर चिट्ठी पढ़ने लगा-कृपा करके मेरे अखबार के लिए एक कविता भेज दीजिए। चिट्टी के नीचे संपादक के हस्ताक्षर थे। चिट्ठी तो बराबर आती रहती है पर इस चिट्ठी ने मेरा मन को अपनी और खींच लिया। इसका कारण या था कि चिट्टी की लिखावट बड़ी सुंदर थी। हर अक्षर सांचे मैं ढला हुआ-सा मालूम पढ़ता था। 


आमिर से मेरी कोई जान पहचान नहीं थी। यह उनकी पहली चिट्ठी थी। लिखावट देखकर मेरे मुंह से अनायास ही निकल पड़ा-वाह! बड़ी सुंदर लिखावट है। 

मैंने दूसरे ही दिल कविता भेज दी। 

कविता अखबार में छपी। जिस अंक में छपी, वह अंक भी मेरे पास आया। पूरे ब्रिटिश पेज का सप्ताहिक अखबार था। शुरू से लेकर अंत तक गांव की ही बातें छपी थी। बड़े सुंदर ढंग से 7 दिनों के समाचार छांट-छांट कर छापे गए थे। किसानों के लिए जानकारी की बहुत-सी बातें भी थी। 

मैं अखबार को देखकर बड़ा प्रसन्न हुआ और दूसरे अंक के लिए फिर एक कविता भेज दी। दूसरी कविता भी अखबार में छपी। अब मैं बराबर कविता भेजने लगा। आमिर की चिट्ठियां भी समय समय पर आया करती थी बे कवि कविता मांगते थे और कभी कहानियां मांगते थे। मैं बराबर उनकी इच्छाओ की पूर्ति कर दिया करता था। इसका परिणाम यह हुआ कि हम दोनों के मन में एक दूसरे के लिए प्रेम पैदा हो गया। लगभग साल दर साल बीत गया। आमिर ने अपने एक पत्र में लिखा यदि आपका इधर आना हो तो मेरे ही घर ठहरने की कृपा करें। 




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