Zombie War Story Part 4 in Hindi


अब हम तीनों को कुछ ही किलोमीटर चलने थे।
एक रात जब हम आराम करने के लिए रुके तो हमे किसी की आवाज सुनाई दी हम तीनों छुपे और देखा की 4 से 5 जोंबी इधर-उधर घूम रहे थे।
अली बोला कि हम इनसे कैसे लड़ेंगे युसूफ मैंने कहा कि हम लोग चुपके से उनके पीछे जाएंगे और उनको मार देंगे अली ने बोला ठीक है तो पहले सददाम जाएगा। 
सददाम बोला कि मैं ही क्यों जाऊं अली बोला कि तुम चलने पर आवाज नहीं करते तुम उनके पीछे जाकर उनको आराम से मार सकते हो सददाम बोला ठीक है।
सददाम एक जोंबी के पीछे गया और उसको मार दिया और अली ने भी एक को गिरा दिया और उसके सर में चाकू मारा और वह जोंबी भी मर गया। मैंने अपने भाले से एक जोंबी को गिरा कर उसके आंखों में भाला घुसा दिया।
देखते देखते सारे जोंबी को हमने मार दिया था। सब जोंबी के मरने के बाद हमने आराम किया।
अगले दिन हम लोग आगे बढ़ने के लिए निकले और कुछ समय चलने के बाद हमें जंगल दिखाई दिया और हम उस जंगल मैं चलने लगे।
हम अपनी मंजिल से बस कुछ ही किलोमीटर दूर थे
मैंने कुछ सुना मैंने अली से बोला अली बोला कि तेरा बहम है युसूफ मैंने कहा शांति से सुन अली को भी हो सुनाई दिया किसी लड़की की आवाज थी वो। हम लोग आवाज का पीछा किए और हमने चुप कर देखा कि वहां तीन लड़कियां बहस कर रही थी।
उनमें से एक लड़की ने हमें देखा और उसने बहुत जोरों से चिल्लाया हमने बोला शांत हो जाओ तुम लोग हम कोई जोंबी नहीं हैं। अली ने बोला हम लोग जा रहे थे और तुम तीनों की आवाज सुनाई दी। मैंने कहा तुम्हारा नाम क्या है क्या तुम हमारे टीम में शामिल होगी हम लोग सुंदरवन जा रहे हैं।
उनमें से जो बड़ी लग रही थी उसने जवाब दिया कि मेरा नाम सोनी है और यह मेरी छोटी बहन है इसका नाम ईशा है और यह लड़की हम लोग जब आगे बढ़ रहे थे तो यह हमें दिखाई दी और इसका नाम उसने नहीं बताया। और यह बहुत चुप रहती है।
अली बोला कि तुम कहां जा रहे हो सोनी बोली हम लोग कही नहीं जा रहे हैं। अली बोला कि तुम हम लोग के साथ क्यों नहीं चलते हैं उसने कहा क्यों मैंने बोलाकी वहां खाली और पानी की कमी नहीं होगी अब ईशा ने बोला बहन हम लोग का खाना पानी यहां पर नहीं हो पाएगा। हम लोगों को इनके साथ चलना चाहिए।
सोनी कुछ सोच रही थी और उसने बोला कि ठीक है हम लोग तुम्हारे साथ चलेंगे।
और हम सब साथ में आगे चलने लगे अब हम लोग खुले मैदान में पहुंच चुके थे अली बोला यहां पर रुक सकते हैं हम लोग सोनी बोली की जगह तो बहुत सही है यहां पर हम लोग रुकने को तैयार हैं। मैंने कहा की हम लोगों को काम बांटना चाहिए कुछ लोग लकड़िया लाएंगे और कुछ खाने के लिए कुछ ढूंढगे समझे सब लोग। सभी लोगों ने कहा ठीक है।
मैं अली और सददाम खाने के लिए कुछ ढूंढने लगे और सोनी ईशा और वह लड़की लकड़िया ढूंढने लगे।
हमने देखा की घास के मैदान में कुछ बतख के बैठी हुई है हमने एक धनुष बनाया और उन बत्तख को पकड़ा और हमने दो बत्तख पकड़ी। और वापस आ गए इतने देर में उन तीनों ने बहुत सारी लकड़ियां इकट्ठा कर ली हम लोगों ने लकड़िया और पत्तों से टेंट बनाया और रात को उन बत्तख को पकाया।
हम सब पहली बार किसी बत्तख को पक्का रहे थे।
उसका स्वाद किसी मुर्गी से भी अच्छा था सब को अच्छा लगा।
अगले दिन सब लोग अपना सामान पैक कर के आगे बढ़ने लगे और कुछ ही पल में हम लोग सुंदरबन पहुंच चुके थे।
सभी लोगों को वहां के नजारे बहुत खूबसूरत लगे वहां पर जानवरों की कमी नहीं थी ।और ना ही कोई आदमी या जोंबी नहीं थे।
हम लोग वहां पर अपना बेश बनाया और मजे की जिंदगी जी।


Post a Comment

0 Comments