Zombie War Story Part 3 in Hindi


3 हफ्ते बीत चुके थे अब हमारा खाना पानी खत्म हो चुका था।
मैंने बोला अली टाइम आ चुका है अब यहां से जाने का अली ने बोला हां पर एक चीज है जो लेना पड़ेगा मैंने कहा क्या अली ने बोला हमें एक नक्शा चाहिए मैंने कहा ठीक है तो पहले हमें नक्शा लेना होगा और उसके बाद चलने की तैयारी करनी पड़ेगी।
हम दोनों ने नक्शा लिया और चलने की तैयारी किया हम दोनों ने वह भाला और चाकू अपने पास ही रखा। और 2 से 3 दिन का खाना पानी लिया और घर से निकले हम दोनों चलते चलते हाईवे पर आ चुके थे और हाईवे पर गाड़ियां ही गाड़ियां खड़ी हुई थी। उन गाड़ियों में कोई नहीं था सब जा चुके थे।
हम दोनों गाड़ियां चेक कर रहे थे तभी एक जोंबी आया और अली बोला भाग युसूफ तेरे आगे जोंबी खड़ा है। और वह जोंबी मेरे पास आ रहा था मैंने अपना भाला निकाला और उसकी आंख में मारा और वह जोंबी वहीं ढेर हो गया।
अली ने बोला तूने तो इसकी आंखें निकाल ली इतने देर में जोंबी हिलने लगा मैं और अली तेजी से भाग ने लगे।
थोड़ी दूर भागने के बाद अली और मुझे एक तलाब दिखाई दिया मैंने कहा अली आज यहीं पर अपना ठिकाना बनाते हैं कल देखेंगे।
हम दोनों ने काम बांट लिया मैं मछली पकड़ रहा था और अली लकड़िया जलाने में लगा हुआ था। अली अपना काम करके मेरे पास आया और वह भी मछली पकड़ने लगा। हम दोनों ने चार से पांच मछलियां पकड़ी और उसको पकाया और रात को वहीं पर सो गए।
हम दोनों ने इस दिन 7 किलोमीटर का सफर किया।
अगले दिन हम दोनों उठे और चारों तरफ देखा दूर-दूर तक कोई नहीं था हम दोनों आगे बढ़ने के लिए तैयार हुए और उसी हाईवे से आगे बढ़े।
2 घंटे बाद चलते हुए मैंने देखा एक बंदा हाईवे के किनारे बेहोश था मैंने अली को बोला वहां कोई बेहोश पड़ा है अली ने बोला पास मत जाना मैंने कहा एक बार चेक करते हैं वह जिंदा भी है या नहीं।
हम दोनों ने चेक किया तो वह बेहोश था सिर्फ अली ने बोला पानी की बोतल निकाल मैंने पानी की बोतल निकाल ली अपने बैग से और उसके मुंह पर पानी छिड़क वह बंदा उठ गया और हमने पूछा कि तुम कौन हो उसने कहा कि मेरा नाम सददाम है। और मैं कल भागते भागते हैं यहां पर गिर गया और बेहोश हो गया था। उसने धन्यवाद कहां मेरी जान बचाने के लिए। अली ने बोला तुम कहां जा रहे हो वह बोला मैं अपने चाचा के घर जा रहा था मैंने कहा अब मेरे को नहीं लगता कि वहां कोई बचा होगा।
अली ने कहा की तुम हमारे साथ चलो हम लोग सुंदरवन जा रहे हैं। मैंने सददाम से पूछा तुम करते क्या थे। सददाम ने बोला कि मैं मुर्गियों को पालता था हमारी मुर्गियों की दुकान थी। 3 हफ्ते पहले जोंबी ने हमारे शहर में हमला किया और मैं भागते हुए वहां से भाग आया।
मैंने कहा तुम्हारी फैमिली कहां है उसने बोला मैं यहां पर अकेला रहता था मेरी फैमिली कहीं और रहती है।
अली ने बोला तुम्हें कुछ खाना है उसने कहा मैं 3 दिन से भाग रहा था बहुत भूख लगी है अली ने उसको बिस्किट दीया और हम तीनो आगे की ओर बढ़े।
हम तीनों को चलते हुए अब 2 दिन हो चुका था हमारा खाना बस खत्म होने वाला था।
मैंने बोला अली से कि हमारा खाना खत्म होने वाला है जल्दी से हमें एक शहर से खाना लेना पड़ेगा अली ने बोला किसे शहर में तो जोंबी हो सकते हैं मैंने कहा तुम सही बोल रहे हो।
सददाम बोला नहीं शहर वाले पहले ही सब चले गए हैं शहर में बहुत कम ही जोंबी है मैंने कहा तुम्हें कैसे मालूम उसने कहा कि मैं इसी शहर से भाग रहा था और मेरे साथ बहुत सारे लोग थे सब भाग चुके थे इधर उधर अब शहर पूरा खाली है बहुत कम ही जोंबी हैं हम खाना ले सकते हैं मैंने कहा ठीक है तो चलो पहले खाना लेकर आते हैं।
अली ने सददाम से पूछा इस शहर का सबसे पास वाला शॉपिंग सेंटर कहां है उसने बोला यहां से 600 मीटर दूर।
मैंने कहा अली चलते हैं। हमारा खाना खत्म हो चुका है लगभग रिक्स तो लेना पड़ेगा अली ने बोला ठीक है चलो।
सददाम ने कहा कि हम रास्ते से नहीं जा सकते हमें घरों की छत से जाना पड़ेगा मैंने कहा क्यों तो उसने बोला कि घरों की छत से जाने पर हमें कोई नहीं देख सकता तो हम लोगों ने बोला ठीक है चलते हैं।
हम लोग को 20 मिनट लगे उस मॉल में पहुंचने में। मॉल पूरा खाली था। उस मॉल में कोई भी नहीं था मैंने अपने बैग में कुछ वर्तनी ली और अली ने अपने बैग में खाने का सामान रखा और एक और बैग लिया सददाम के लिए। और उस बैंक में चावल और दाल को भर दिया अब हमारे पास खाने और पीने की कमी नहीं थी हम लोग वहां से निकल चुके थे और अपने रास्ते पर बढ़ रहे थे।
हम तीनों ने कुछ ही हफ्तों में आधा फासला कर लिया था।

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